बिना तुमको लिए और एक शाम आई
शराब ही फिर दर्दे दिल को काम आई
आहटें रात भर सुनता रहता हुं मैं
हर दम खाली चिट्ठियां मेरे नाम आई
तुम्हे क्या मालूम अपने बीमार का हाल
जिसे ना दवा काम आई ना दुआ काम आई
महफ़िल में सब अपनी-अपनी सुनाते रहे
मैनें होंठ सी लिए जब उनकी बात आई
ना वो मेरा हो सका ना मैं किसी और का
सोचता हुं अक्सर ज़िदंगी किस काम आई
नही भूलता 'शेष' जाते वक्त वो रोना उसका
मुझको याद हमेशा वो बिछड्ने की रात आई
एक चेहरा साथ साथ रहा जो मिला नहीं
ReplyDeleteकिसको तलाश करते रहे कुछ पता नहीं
Good One
wah kya baat hai...ambrish ji
ReplyDeleteआहटें रात भर सुनता रहता हुं मैं
ReplyDeleteहर दम खाली चिट्ठियां मेरे नाम आई
किसी अपने का इंतज़ार बहुत मुश्किल होता है
बहुत अछी अभिव्यक्ति