Thursday, February 3, 2011

खामोशी......


खामोशी   की    एक    जुवा     होती    है
यू    हर    बात    बताई     नही      जाती
हुनर सीख ले खामोशिओ को समझने का
  कहे  कि   इनसे   सदाऐ   नही   आती

जुवा नही खोली और बहुत कुछ कह् दिया
मेरी आन्खो मे तुझे वो गजल दिखाई देगी
जिसकी  तहरीरे   रोशनाई  से  नही  आती
और  जो   होठो  से  सुनाई   भी   नही जती
 
तेरे नाम से हर सास जहेन मे उतरती है,
यादो  को  तेरी सारे जिश्म मे फ़ैलाती है,
अगर   इतनी   कुर्बत   हो   तो      फ़िर,
बीच   की   दूरिया   घटाई    नही   जती

तू  मेरे  अल्फ़ाजो  का   साहिल  है
ये  तुझसे  से  शुरु तुझमे  खत्म है
मेरी गजले आईना है खुद को देख
ऐसी  मोहब्बत  जताई  नही  जाती

तेरी   एक  हा   और    ना     पर
मेरे  ख्वाबो  की   ताबीर  छिपी है
कुछ दूर के लिये यू ही साथ हो जा
अकेले ये कश्ती चलाई नही  जाती

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