ये ब्लाक एक आईना है,जिसमें कुछ शक्ले ख़ुद कि तो कुछ जमानें की नज़र आती हैं.मेरे ब्लाक में कुछ बिखरे से अल्फ़ाज, खुद से बात करती कुछ गजलें, कुछ शेर,और धुंधली सी तस्वीरें बनातीं चंद कविताऐ हैं.... 'सिवा सुकून के कुछ और नहीं मिलता शायरों की दुकानों में' 'पर यही वो चीज़ है'शेष'जो नहीं बिकती दुनिया के बाजारों में' अगर इस शायर के अल्फ़ाज आप को चंद लमहों का सुकून दे जाएं तो मैं समझूगा की मेरी इबादत ख़ुदा ने कुबूल कर ली..
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