Friday, March 11, 2011

दिल मेरा मुझसे हमेशा ये सवाल पूंछता है........



  दिल मेरा  मुझसे  हमेशा  ये सवाल पूंछता है
  अभी और कितने  गम है  ये हिसाब पूंछता है


  बैठ  जाते  हो  रातों  को  उठ-उठ  के  अक्सर
  अभी और कितना रुलाएगा ये ख्वाब पूंछता है


  भूल जाऍ नाम  पर चेहरा  याद  रह  जाता है
  क्या वो  अब  भी  करेगा  ये सलाम पूंछता है


  यू  ही  चंद  लमहों  के  सुकून  की  खातिर
  अभी और कितना पिओगे ये शराब पूछता है


 सब  कुछ तो  खो  चुके  हो ज़मानें  में  'शेष'
 अभी और  क्या मिलेगा  ये ईनाम पूछता है








1 comment:

  1. ग़म को पोशीदा ख़ुशी आम करे
    ज़र्फ़वाला तो येही काम करे

    ये समन्दर है तश्नालब कितना
    लहर में कितनी जाँ तमाम करे

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