दिल जानें किसको तलाश करता रहा
जो मिला नहीं उसको याद करता रहा
ज़िदगी सिमटी रही पलकों की कतारों में
वो उम्र भर मेरे ख्वाबों मे सवरता रहा
चलते रहे साथ लिए उम्मीदों के कारवां
वो आईनें में मेरी शक्लें बदलता रहा
झूठी शानों-शोकत हमेशा मिलती रही
हर शाम मयखानों से जी बहेलता रहा
रिश्ते-नाते, इश्क-वफ़ा का बोझ उठाए
'शेष' हर दम यू ही अकेले चलता रहा